सबरनाखा by:- Chandramohan Kisku

मैं सबरनाखा
सोना माई
बहते चल रही हूँ
सोहराय, करम, माघे की
नाच और गीत के ताल में
रसीली हांडिया और
महुआ शराब के नशे में
हर्ष और आनंद के साथ
नाचते और गाते जा रही हूँ
अब मेरी
नाच की ताल में और
सुरीली सुर पर
काला जादू लग गया
 दुश्मनों की बुरा नजर
लग गयी है
डायन – नाज़ोमों की
बुरी नजर से भी
भयानक
अब मेरी सहर्ष नाच कहाँ है
कल-कल की गीत भी
अबरुद्ध हो गयी है
मेरे चलने के पथ पर
बड़े -बड़े डैम
बन गये हैं
शहर – नगर और
कल – कारखानों की गंदगी
मेरे सोने जैसी देह पर
लीपते है
अब मेरी देह पर
चमकने वाली सोना नहीं है
कूड़ा -कचरा और गन्दगी से
कोयला जैसा काला हुआ हूँ
अब मैं
बहती नहीं हूँ
अपने से ही दूर
बहुत दूर
चली जा रही हूँ
सबरनाखा – Subarnarekha River flows through Jharkhand, West Bengal and Odisha.

by:- Chandramohan Kisku

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